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सुबह-सुबह रिया ने सोचा कि आज कुछ अलग खरीदारी करनी चाहिए। वह बाजार गई, लेकिन यहाँ कुछ भी सामान्य नहीं लग रहा था।
हर दुकान में अनोखे चीज़ें थीं, जो रिया ने पहले कभी नहीं देखी थीं। उसने एक दुकान से रंग-बिरंगे कपड़े खरीदे, लेकिन जब वह बाहर निकली, तो कपड़े अचानक फीके रंग के हो गए।
यह देखकर रिया बहुत अचंभित हुई। उसने दुकान में लौट कर पूछा, लेकिन दुकानदार ने कोई सफाई नहीं दी।
फिर वह दूसरी दुकान पर गई, जहाँ उसने बहुत सुंदर जूते देखे। जूते पहन कर बाहर निकली, पर वे बहुत जल्दी टूट गए। रिया निराश हुई, लेकिन उसने हिम्मत नहीं हारी।
दिन भर मार्केट में घूमने के बाद, वह एक छोटी सी दुकान पर गई जहाँ दुकानदार ने उसे समझाया कि कुछ चीज़ें दिखाने में अच्छी लगती हैं, पर उनकी असली कीमत अलग होती है।
रिया ने महसूस किया कि सही चुनाव करना आसान नहीं होता और कभी-कभी देखने से ज़्यादा समझना ज़रूरी है। वह घर लौटते वक्त सोच रही थी कि अगली बार खरीदारी में धीरज और थोड़ा अनुभव ज़रूरी होगा।
यह दिन रिया के लिए सिर्फ सामान लेने का नहीं, बल्कि सीखने का दिन था। बाजार के चमक-दमक के पीछे, असली कहानी धीरे-धीरे समझ में आ रही थी।
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